गोर बंजारा विरगाथा #Gor_banjara_legends

 गोर बंजारा विरगाथा

 श्योपुर का गोर राजा राधिकादास

        श्योपुर मध्यप्रदेश कि भूमीपर बसा हुआ, एक छोटा-सा राज्य। जिसकी निव रखी, जयपुर घराने के सामंत गोर इंद्रसिंह ने ई. 1537 में । जो शिव के बहोत बड़े उपासक थे। श्योपुर क़िले का उल्लेख निमात-उल्लाह के ऐतिहासिक अभिलेख में मिलता है।
            अंग्रेज ने जैसे ही हिंदूस्थान में प्रवेश किया, सबसे पहले यहां के छोटे-छोटे राजाओं को आपस में लडवाया। और अपनी साम्राज्य कि लालसा को पुरा किया।
           श्योपुर राज्य के बारेमे वर्णन " History of Maratha" इस किताब में आता है, जो जे. एस. चौरसिया द्वारा लिखीं गई है।
पृष्ठभुमी
       18 वी सदी की शुरुआत में श्योपूर पर गोर राजा राधिकादास का अधिपत्य था। इसी काल में दौलतराव सिंधिया ने मध्यभारत कि कमान संभाली। उनके कालमे छोटे-छोटे साम्राज्य को भारी नुक़सान पहुंचा। वजह अंग्रेजोके  नापाक इरादे और सिंधियां में सोच-समझ की कमी। जिसकी वजह से छोटे-छोटे राज्यों पर अंग्रेजों ने अपना वर्चस्व प्रस्थापित किया।
गोर बंजारा विरगाथा

            दौलतराव सिंधिया ने ई.1808 मे राधिकादास से आर्थिक दुर्बलता का कारण बताकर 15लाख की मांग की। और  अपनी फौज को श्योपुर पर कब्जे के लिए भेज दिया। राधिका दास भी प्रांत की भलाई सोच इस बात के लिए तैयार हो गये। और कुछ समय देने की मांग की। ताकी पड़ोसी राज्यों से सहायता मांगी जाएं। राजा जी जानते थे। अपनी छोटी-सी फौज दूश्मन से भीड़ तो सकतीं हैं लेकिन जादा दिन डट नहीं सकती।

                 दौलतराव सिंधिया रुकने को तैयार नहीं था। दौलतराव सिंधिया की फौज ने क़िले के चारों और से घेर लिया और नाकाबंदी कर दी। राधिका दास ने भी हार मानने के बजाय दुश्मन को मारकर मरना पसंद किया। अपनी छोटी-सी फ़ौज के सहारे दुश्मन पर धावा बोल दिया। छोटी-सी फ़ौज थी राजा राधिकादास कि लेकिन मर-मिटने को तैयार थी वतन के लिए । घेराबंदी कि वजह से क़िले में बाहर से कोई सामान नहीं पहुंच रहा था। अकाल सा दृश क़िले पर छा गया था।
       अगस्त 1809 से अगले तीन माह राधिका दास की फौज ने जान कि बाज़ी लगा दी। बहुत से सैन्य मातृभूमि बचाने कुर्बान हो गये। पर दुश्मन सभी मामलों में राजा से बढ़कर था। इसी बीच13 अक्टूबर 1809 को सिंधिया कि फ़ौज ने क़िले पर कब्जा कर लिया।

        और इसी दुर्भाग्यपुर्ण घटना के साथ इतिहास के पन्नों पर से एक और गोरयोद्धा राजा राधिकादास का नाम लुप्त हो गया। उनकी यह विरता हमें बार-बार जिने कि प्रेरणा देती रहेंगी।

गोर बंजारा संस्कृती 
किशोर आत्माराम नाईक
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फोटो एवं वर्णन लोककथाओं पर आधारित




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